तेनालीराम की कहानियां । 2 Tenali rama story in hindi
दोस्तों यह 2 तेनालीराम की चतुराई की कहानी है। आप यह Tenali rama story in hindi पूरी पढ़ें। आशा करता हूं? आपको यह दोनों कहानियां बहुत पसंद आएगी।
1. तेनालीराम की चतुराई | Tenali rama story in hindi
Tenali ram राजा कृष्णदेव राय के दरबार में मंत्री थे। वह बड़े बुद्धिमान और चतुर थे। एक बार दरबार के एक सेवक के हाथ से कांच का खूबसूरत गुलदस्ता टूट गया। वह गुलदस्ता राजा को बहुत प्रिय था। राजा ने क्रोध में आकर उस सेवक को 6 महीने के लिए जेल में डाल दिया। सेवक इमानदार और मेहनती था। Tenali ram भी उसे बचा नहीं सके। फिर भी उन्होंने कोशिश जारी रखी। 1 दिन राजा Tenali ram or अन्य मंत्रियों के साथ शिकार करने निकले वापस आते समय Tenali ram बोले महाराज पास ही एक बच्चो का आश्रम है।
![]() |
Story of tenali rama |
उसे भी देखते चलें राजा मान गए or आश्रम में प्रवेश किया। आश्रम के एक कोने में बच्चे नाटक खेल रहे थे। एक बच्चा राजा बना हुआ था। उसके सामने दो सिपाही एक अपराधी को पकड़ कर खड़े थे। अपराधी ने सिर्फ अपने पास ही के खेत से एक गाजर or मूली की चोरी की थी। सेवक ने अपनी गलती मान ली। तो राजा बना हुआ बच्चा बोला ठीक है। तुम्हें मैं माफी दी जाती है। मगर ध्यान रहे कि ऐसी गलती दोबारा ना हो। खेत के मालिक को शाही खजाने से नुकसान की भरपाई दी जाए।
महाराज ने Tenali ram से कहा।
"Tenali ram आज मैं जान गया कि न्याय करते समय महाराजा का मन एक बच्चे जैसा होना चाहिए। राजा ने तुरंत उस कैदी सेवक को रिहा कर दिया। Tenali ram मन ही मन मुस्कुराए। आखिर वह सेवक को बचाने में कामयाब हो गए।
"Tenali ram आज मैं जान गया कि न्याय करते समय महाराजा का मन एक बच्चे जैसा होना चाहिए। राजा ने तुरंत उस कैदी सेवक को रिहा कर दिया। Tenali ram मन ही मन मुस्कुराए। आखिर वह सेवक को बचाने में कामयाब हो गए।
2. तेनालीराम की चतुराई की दूसरी कहानी | Tenali rama story in hindi
एक बार राज दरबार में निकलकेतू नाम का यात्री राजा कृष्णदेव राय से मिलने आया। पहरेदारो ने राजा को उसके आने की सूचना दी। राजा ने निकलकेतू को मिलने की अनुमति दे दी। यात्री एकदम दुबला पतला था। वह राजा के सामने आया और बोला महाराज में नील देश का नीलकेतु हूं or इस समय में विशव भ्रमण की यात्रा पर निकला हूं। सभी जगहों का भ्रमण करने के पशचात् दरबार में पहुंचा हूं। राजा ने उसका स्वागत करते हुए उसे शाही अतिथि घोषित किया। राजा से मिले सम्मान से खुश होकर वह बोला महाराज मैं उस जगह को जानता हूं। जहां पर खूब सुंदर-सुंदर परियां रहती है।
मैं अपनी जादुई शक्ति से उन्हें यहां बुला सकता हूं। नीलकेतु की बात सुनकर राजा खुश होकर बोले उसके लिए मुझे क्या करना चाहिए। उसने राजा कृष्णदेव को रात में तालाब के पास आने के लिए कहा। उस जगह पे परियों को इंसान के लिए भी बुलाया जाया सकता है। नीलकेतु की बात मानकर राजा रात को घोड़े पर बैठकर तालाब की ओर निकल पड़े। तालाब के किनारे पहुंचने पर पुराने किले के पास नीलकेतु ने राजा कृष्णदेव का स्वागत किया और बोला महाराज मैंने सारी तैयारी कर दी है। वह सभी परियां किले के अंदर हैं। राजा अपने घोड़े से उतरकर नीलकेतु के साथ अंदर जाने लगे। उस समय राजा को शोर सुनाई दिया।
देखा तो राजा की सेना ने नीलकेतु को पकड़कर बांध दिया था। यह सब देख राजा ने पूछा यह क्या हो रहा है। तभी किले के अंदर से तेनालीराम बाहर निकलते हो हुए बोले महाराज मैं आपको बताता हूं। Tenali ram ने राजा को बताया यह नीलकेतु शत्रु देश का रक्षा मंत्री है और महाराज किले के अंदर कुछ भी नहीं है।
यह नीलकेतू तो आप को जान से मारने की तैयारी कर रहा था। राजा ने Tenali ram को अपनी रक्षा के लिए धन्यवाद दिया और कहा "Tenali ram यह बताओ तुम्हें यह सब पता कैसे चला" । Tenali ram ने राजा को सच्चाई बताते हुए कहा। महाराज आपके दरबार में जब नीलकेतु आया था। तभी मैं समझ गया था। तब मैंने अपने साथियों से इसका पीछा करने को कहा था। जहां पर नीलकेतु आप को मारने की योजना बना रहा था। Tenali ram की समझदारी पर राजा कृष्णदेव राय ने खुश होकर उन्हें धन्यवाद दिया।
यह कहानी अच्छी लगे तो प्लीज इसे शेयर कीजिए।
यह कहानियां भी जरूर पढ़ें
0 टिप्पणियां